हिमाचल को सेब दिए
1947 से पहले हिन्दुस्तान उस क़ैद चिड़िया की तरह था, जिसे ना समय पर खाना मिल रहा था और ना ही पानी. अंग्रेज सिर्फ़ शोषण ही कर रहे थे. अंग्रेज़ हमें मारना नहीं, तड़पाना चाह रहे थे. यूं तो अंग्रेज़ों के शोषण के ख़िलाफ़ देश के कई सपूतों ने अपनी आवाज़ उठाई, मगर इस आज़ादी में स्वदेशी नेताओं के अलावा विदेशी नेताओं ने भी अहम योगदान दिया. हालांकि, एनी बेसेंट को छोड़ दें, तो बड़े विदेशी नेताओं को कोई नहीं जानता. लेकिन हम आज आपको ऐसे विदेशी नेता से मिलवाने जा रहे हैं, जिनका आज़ादी में बहुत ही ज़्यादा योगदान था. वो हैं अमेरिकी नागरिक सैमुएल एवान स्टोक्स उर्फ़ सत्यानंद स्टोक्स!
सैमुएल के बारे में महत्वपूर्ण बातें
- सैमुएल ही वो आदमी हैं, जिन्होंने हिमाचल को सेब दिए और भारत के स्वाधीनता संग्राम में महात्मा गांधी को पूरा सहयोग दिया.
- सैमुएल गांधी जी के विचारों से काफ़ी प्रभावित थे.
- सैमुएल ही वो पहले विदेशी थे, जिन्होंने स्वाधीनता के समय खादी पहनी थी.
- सैमुएल शारीरिक रूप से भले ही अमेरिकी थे, मगर वो हिन्दुस्तानी बन कर रहना चाहते थे.
- उन्होंने भारतीय लड़की से शादी की और एंग्लो-इंडियन की जगह भारतीय कहलाना पसंद किया.
- भारत को अपनी मातृभूमि मानते थे.
- हिन्दुस्तान को समझने के लिए उन्होंने संस्कृत और हिन्दी सीखी.
- साल 1932 में उन्होंने हिंदू धर्म अपना लिया और अपना नाम भी सैमुएल से बदल कर सत्यानंद रख लिया.
22 साल की उम्र में शिमला आए और यहीं के होकर रह गए.
सैम के पिता अमेरिका में एक सफ़ल बिजनेसमैन थे, लेकिन सैम का बिजनेस में कोई इंटरेस्ट नहीं था. वे अपने पिता के साथ 1904 में शिमला आए थे. उस समय सैम की उम्र महज़ 22 साल ही थी.
आम लोग 'ईसाई संन्यासी' कहते थे
भारत आकर सैमुएल लैप्रोसी (कोढ़) से जूझ रहे मरीजों की सेवा करने लगे. इस बात से उनके माता-पिता बहुत नाराज़ थे, लेकिन बाद में उन्हें अहसास हुआ कि सैमुएल अच्छा काम कर रहे हैं. इस बाबत वो अपने बेटे की आर्थिक मदद करने लगे. सैमुएल के अच्छे काम को देख कर गांव वाले उन्हें 'ईसाई सन्यासी' कह कर बुलाने लगे.
हिमाचल में 'आर्थिक क्रांति' की हुई शुरुआत
हिमाचल में समय बिताने के बाद सैमुएल को अहसास हो गया कि लोगों की दिक्कत सिर्फ़ बीमारी नहीं, बल्कि गरीबी भी है. इससे निजात दिलाने के लिए सैम ने हिमाचल की जलवायु के अनुकूल सेबों की खेती करने की ठानी. उन्होंने साल 1916 में फिलेडेल्फिया से सेब के कुछ पौधे और बीज मंगाए. सैम का ये कदम हिमाचल के लिए एक आर्थिक क्रांति की शुरुआत थी.
आज़ादी में सैमुएल का योगदान
सच पूछा जाए, तो सैमुएल का जन्म हिन्दुस्तान के लिए ही हुआ था. कुछ समय बाद उन्हें अहसास हुआ कि भारत की उन्नति तो उसकी आज़ादी है. इसके लिए उन्होंने भारत की आज़ादी के समर्थन में अख़बारों में लिखना भी शुरू कर दिया था.
गांधी और सैमुएल
जब सैम भारत की आज़ादी का समर्थन कर रहे थे, उसी दौरान उनकी मुलाक़ात गांधी से हुई. असल में गांधी के दोस्त सीएफ एंड्रयूज और स्टोक्स के दादाजी अच्छे दोस्त थे और इसी के चलते गांधी से सैम की मुलाक़ात हुई.
सैमुएल और कांग्रेस
साल 1919 में अप्रैल महीने में जलियावाला बाग़ हत्याकांड हुआ, जिससे सैम को गहरा आघात पहुंचा और उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन करने का फैसला कर लिया. वो कांग्रेस में काफी एक्टिव रहे. गांधी ने भी सैम की सक्रियता देखकर उन्हें सभी मीटिंग्स में बुलाना शुरू कर दिया.
हिन्दुस्तान के असली 'अमरीकी नायक'
सैम इस दौरान कई बार गिरफ़्तार भी हुए और महीनों जेल में भी बिताये. जेल में भारतीयों और यूरोपीय लोगों को अलग-अलग जेल में रखा जाता था, लेकिन उन्होंने इस स्पेशल ट्रीटमेंट के लिए भी मना कर दिया.
No comments:
Post a Comment