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Monday, January 30, 2017

हिन्दुओ के अप्रत्यक्ष शत्रु -- #रंगीला_गांधी ( भाग -1)

हिन्दुओ के अप्रत्यक्ष शत्रु --  #रंगीला_गांधी  ( भाग -1)

दोस्तों इस पोस्ट पोस्ट को  सिर्फ १८ साल के ऊपर के वयस्क लोग ही पढ़े, हाँ अगर कोई जिम्मेदार किशोर राष्ट्र और हिन्दू धर्म का भार  अपने सर पर लेना चाहता है , वो १५ साल का भी युवा पढ़ सकता है , कासिम का वध १६ साल की २ ब्राह्मण बालाओ  ने की थी , अगर कर्म से कोई ब्राह्मण बाला  भी सबसे ऊपर धर्म और राष्ट्र को रखती है, तो उन्हें भी यह पोस्ट जरूर पढ़नी चाहिए।

 पंजाब उच्च न्यायलय के एक न्यायमूर्ति श्री जी डी खोसला ने एक किताब लिखी है , THE STREN RECKONING .  इस पुस्तक में विभाजन और विभाजन तक हुई घटनाओ के बारे में जानकारी मिलती है , इसके भयवाह परिणामो का वर्णन श्री कपूर ने इस पुस्तक में किया है।

११ दिसंबर १९४५ में डॉन  समाचार पत्र ( पाकिस्तान) में जिन्ना ने कहा है की " यदि वे लोग स्वेच्छा से स्थानांतरण चाहते है तो ऐसा हो सकता है , वे लोकमत को टालना चाहते थे , जो प्रान्त पाकिस्तान में जाने वाले थे , वहां के हिन्दुओ की इसमें सहमति नहीं थी , किन्तु मुस्लिम लीग को इस स्थानांतरण योजना का किर्यान्वय तुरंत चाहिए था।  वे लोकमत को टटोलना चाहते थे , क्यू की इससे पाकिस्तान का विरोध करने वाले को उतर मिलने वाला था , पंजाब , उतरी पश्चिमी प्रांतो के हिन्दू अपना व्यवसाय छोड़ने को तैयार नहीं थे , यह व्यापर उनकी वर्षो की पीढियो ने खड़े किये थे ,  मुसलमान  जिन्ना की मन की लहर पर उन्हें भिखमंगे होना या भटकना स्वीकार नहीं था , दूसरी और उत्तरप्रदेश , बम्बई, मद्रास, बिहार, मध्यप्रदेश आदि प्रान्तों के मुसलमानो को भी अपना घरबार छोड़ना जंचता नहीं था , इस कठिनाई का हल ढूंढने के लिए मुस्लिम लीग को सोचना अनिवार्य हो गया था।

कलकत्ता में हिन्दुओ का भयंकर नरसंघार हुआ , अकेले लालबाजार एरिया ( कलकाता ) में ३००० हिन्दुओ को काटकर रोड पर बिछा  दिया गया , यह तो सरकारी आंकड़े है , बाकी आप खुद अनुमान  लगा लीजिये, ३०० मरते है, तो ३० बताया  जाता है, एक या २ जीरो कम करने की आदत हमेशा से ही रही है।

 अब इस हत्याकांड से निर्मित आतंक ने हिन्दुओ को घर छोड़ने पर मजबूर किया , एक ऐसा प्रयोग नोआखाली और टिप्पेरा भाग में सफल हुआ , बिहार में इसकी प्रतिक्रिया हुई , और यहाँ के मुसलमानो को सिंध जाना पड़ा।

पंजाब में हिन्दू नेता ताराचंद सिंह जी ने भी इस विभाजन का जब विरोध किया, मुस्लमान तो केवल हिंसा का बहाना ही ढूंढते थे , रावलपिंडी में हुए हत्याकांडो का वर्णन " रावलपिंडी का बलात्कार " के नाम से जाना जाता है , अपनी प्राणरक्षा के लिए हिन्दुओ को इस्लाम धर्म स्वीकार करना पड़ा , हिन्दू और सिख स्त्रियों ने भारी  मात्रा में अग्नि में प्रवेश कर  जोहर की प्रथा निभायी , उन्होंने कुंओ में छलांग लगाकर आत्मबलिदान किया , अपनी बच्चियों को उन्होंने अपने आप मार डाला।  अपनी लज्जा रक्षा का उनके पास केवल यही उपाय था।  गाड़िया भर भर कर निर्वासित हिन्दू  भारत आने लगे , उसका ब्यौरा भी ह्रदय बिचलित कर देने वाला है।  डिब्बो में साँस लेने तक का स्थान नहीं था , डिब्बो की  छत  भी खंचाखच भरी रहती थी।  पंजाब के मुसलमानो का आग्रह था की लोगो का स्थानांतरण होना चाहिए , परन्तु वह इतने सीधे ढंग से , बिना किसी छल  के हो यह बर्दास्त नहीं था , इन हिन्दुओ को जाते  समय भयानकता , क्रूरता, पशुता , अमानुषिकता , अवहेलना भावो का अनुभव मिलना  ही चाहिए था , ऐसी उनकी कामना थी, और वैसा ही व्यवहार विभाजन के समय हर जगह के मुसलमानो ने किया , जहाँ वे बहुसंख्यक थे।

पानी के नल तोड़ दिए गए , बच्चे भूख और प्यास में छटपटा कर मरे, यह तो अलग समश्या  थी , माता पिता अपने बच्चो को जिन्दा रखने के लिए, उनकी प्यास बुझाने के लिए मूत्र तक पिला कर जिन्दा रखने की कोशिश कर रहे थे।  वहां से लौटने वाली हर हिन्दू कन्या और जवान स्त्रियों का बलात्कार हुआ, या वहीँ उन्हें गुलाम बनाकर रख लिया गया।  बूढ़े बुजुर्ग लोग भागते भागते सांस फूलकर ही मर जाते थे।  यह तो था  हिन्दुओ के साथ मुसलमानो  का हम हिन्दुओ के साथ व्यव्हार , जो यह बात स्पष्ठ करती है , मुसलमान  हिन्दुओ के कभी नहीं हुए, यह कोम  हमेशा हमें खत्म करने की साजिशें, और हम पर जुल्म ही करती रही है।

विभाजन में मोहनदास करमचंद गांधी यानी महात्मा की भी बहुत बड़ी भूमिका थी , हिन्दुओ के कत्ले आम में उनका कम योगदान नहीं था , उसकी चर्चा करते है, किन्तु पहले आप जानिये इस गांधी का जीवन चरित्र ( बोले तो रंगीन जिंदगी रसूल सी )

इस पाखण्डी के जीवन काल में डॉ भीम राव आंबेडकर , नेताजी बोस, विट्टल भाई पटेल, लाला लाजपतराय , भगत सिंह, और अन्य क्रान्तिकारियो ने कड़ी शब्दो में आलोचना की , परंतु इसकी हत्या के बाद इसे हीरो बना दिया गया , कम्युनिस्ट जो कभी गांधी को पुंजिपतियो का समर्थक कहते थे , वे इस सम्बन्ध में अब चुप रहते है, क्यू की गांधी पर बोलने से मुस्लिम वोट उनके छीन  जायँगे, क्यू की मुसलमानो ने मिनी-पैगम्बर मोहनदास ने हिन्दुओ के कत्लेआम में अप्रत्यक्ष रूप से उनकी हद से बाहर जाकर ही मदद की थी।   भारत में एक मुगलशासक ने हिन्दुओ की जितनी हत्याएं करवाई , गांधी तो उस मुग़ल से भी कहीं श्रेष्ठ निकला।

सच्चाई वास्तब में यह है की गांधी एक बहुत बड़ा पाखंडी , ढोंगी , पुंजिपतियो व् विसेषाधिकारियो का रक्षक , मजदूरो , दलितो, का शत्रु था , देशभक्तो और राष्ट्रवादियो का प्रथम शत्रु , और समाजवाद का सबसे बड़ा विरोधी था।

  हिन्दू धर्म का सारा संत समुदाय  हमें कामवासना से बचने  के लिए इन्द्रियों के दमन की बात करते है , इसने ब्रह्मचर्य ढोंग शुरू किया , अर्ताथ ब्रह्मचर्य की आड़ में कामाचार का पूरा आनंद इसने जीवन भर उठाया।

एक सनातनी के लिए मनु महाराज के आदेश है

माता, बहन, और पुत्री के साथ कभी एकांत में ना रहे , क्यू की बलवान इन्द्रिया विद्धवानो को भी अपने बस  में कर लेती है , स्त्रियों का यह स्वाभाव है  की इस संसार में अपने आकर्षक सौन्दर्य द्धारा  पुरषो में बुराइया उतपन्न कर देती है , इसलिए विद्धवान  पुरषो को स्त्रियों के मामले में सचेत रहना चाहिए।

अब मनु के आदेसो के अनुसार को विद्धवान  महात्मा मोहन दास को सनातन परम्परा का पालन करते हुए एकांत में रहना चाहिए था , यह ढोंगी संत समुदाय का समर्थक भी था , और सन्त कबीर कहते है।

नारी की है झांई पडत , अँधा होत  भुजंग
कह कबीर तिन  की गति ,जो नित नारी संग

 अर्थात नारी की छाया पड़ने से तो सांप भी अँधा हो जाता है  तो उनकी दशा क्या होगी, जो सदैव स्त्री-संग रहता है।

 यह ढोंगी ना केवल उन्हें स्पर्श करता था , बल्कि खुद निवस्त्र होकर उनसे मसाज करवाता था , और  लड़कियों को निवस्त्र कर अपने पास सुलाता था ---

गाँधी की पाप गाथा जारी है --------

आवयश्यक सुचना - कुछ दिन से सारा सिस्टम ही अस्त-व्यस्त हो गया है , कल से  मेरी पोस्ट दिन में सिर्फ ३ आएगी

१ - रामायण
२- मेरा राष्ट्रवाद
३ - हिन्दुओ  अप्रयत्क्ष शत्रु

जुड़े रहिये और अपने अंदर के राष्ट्रवादी क्षत्रिय को जगाये , आप जाग गए , उसी को शिव का तीसरा नेत्र कहा जाएगा।

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