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Sunday, January 22, 2017

मैक्समूलर का द्रष्टिकोण


मैक्समूलर का द्रष्टिकोण


मैक्समूलर नाम के एक गोरे साहब ने ऋग्वेद को इश्विपूर्व वर्ष 1200 का बतलाकर यजुर्वेद सामवेद तथा अर्थववेद तत्पश्चात 200 वर्षो के अंतर से बनाये गड़रियों के निराधार तथा निरर्थक गंवार गीत है।। उसने अपना अनुमान इतिहास में ठूंस दिया ।। तब से आंग्ल - प्रणाली के सारे " जी हजूरी " विद्ववानों ने ईसापूर्व वर्ष 1200  इश्वि  तक के काल को वेद काल कहना शुरू कर दिया ।।

जबकि वेद पूर्व तो कोई काल हो ही नहीं सकता ।क्यू की वेद सृष्टि निर्माता के साथ ही आये थे, वेदों को बनने में कोई समय लगा ही नहीं ।।

इसापूर्व  वर्ष ६०० में तो लगभग शाक्यमुनि सिद्दार्थ गौतमबुद्ध का काल था ,

अब आप इस मेक्समुलरी सिद्धांत पर खुल कर हंस सकते है ।। वैसे भी यदि वेद गंवार गड़रियों का गीत है तो गौतम बुद्ध के काल में जब भारत तो प्रगत एवम सधन देश होते हुए उस समय इन गीतों को देवी प्रतिष्ठा कैसे प्राप्त हुई? और इन गीतों को लिखने की प्रथा क्यू पड़ी? गंवारों के गीत भी कोई लिखता है??

वेदों को ईशा पूर्व ६०० के मानने से , गौतम बुद्ध का समय, महाभारत का समय, और रामायण का समय आदि अनेक घोटालो की एक खिचड़ी सी बन जाती है ।। इसलिए सृस्टि उत्पति की संकुचित कल्पना , और वेदों को नगण्य गंवार गीत कहना, यह पाश्चात्य विद्ववानों की दो मुलभुत भूले या षड्यंत्र है ।।

एक भूल या षड्यंत्र और है, आर्यो के विषय में लेखन की  । जबकि आर्य सनातन हिन्दू धरमः की वैदिक प्रणाली का नाम है, उसे पाश्चात्य लोग यूरोप के गोरे लोगो का वंश मानते है ।। यदि आर्य कोई वंश होता, तो यूरोप के गोरे लोग भी आर्य, और भारत के काले लोग भी आर्य , ऐसा कैसे हो सकता था?  यदि भारत के काले लोग आर्य है भी, तो नर्मदा नदी के किनारे रहने वाले लोग द्रविड़ क्यू कहलाये ?

पाश्चात्यों की एक और खिलवाड़ यह है कि, सिकंदर को गुप्त वंश के चंद्रगुप्त के समकालीन ना मानकर, चंद्रगुप्त मौर्य के समकालीन माना ।।

हमें यह भी सोच लेना चाहिए की सिकंदर का आक्रमण कहीं काल्पननिक आक्रमण तो नहीं था? ना तो किसी भारतीय ऐतिहासिक ग्रंथो में सिकंदर नाम का कोई नाम मिलता है, ना उसकी चढ़ाई का कोई उल्लेख ।। इस लड़ाई के आँखों देखा हाल लिख देने का श्रेय मेग्नाथीज, आरियन, तथा ग्रीक लेखकों को दिया जाता है, ऊन्का किसी का लिखा साहित्य उपलब्ध नहीं है ।। आक्रमण का जो हवाला दिया जाता है, यह मेग्नेथिज ने ऐसा लिखा --------- वो आरियन ने ऐसा लिखा ----- यह इतिहास हुआ, या कही सुनी बातें???

MC Crindle  नाम के जिस यूरोपीय लेखक ने सिकंदर की चढ़ाई का वर्णन एकत्रित किया है, उसने प्रस्तावना में उललेख किया है, की अलेक्जेंडर का लिखा कोई विवरण मौजूद नहीं है ।।  इस तरह सिकन्दर का कोई इतिहास नहीं, बस एक कही सुनी बातें ही है ।। हो सकता है यह एक काल्पनिक उपन्यास ही हो, इस बात को कोई जांच तो होनी चाहिए , क्यू की इतिहास के कई ऐसे निर्मूल विषय है , जिसके बाबत विश्व के सारे इतिहासज्ञ हल्ला गूल्ला मचा रहे है ।। ताजमहल का निर्माता शाहजहां नहीं था, फिर भी उसके सम्बन्ध में सारे विश्व में ढोल पिटे गये है ।। आर्यो को जाति या वंश मानकर पुरे विश्व के इतिहास में पढ़ाया जा रहा है, जबकि ऐसा कोई वंश कभी था ही नहीं ।।

ग्रीक सभ्यता पूरी तरह वैदिक सभ्यता थी, इसको मानने की जगह यूरोपीय इतिहासकार इसे भिन्न प्रकार की यूरोपीय संस्कृति मानने की मूर्खता सारे ही गोरे करते आ रहे है ।।

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