यूरोप में आस्ट्रिया और हंगरी आदि देश है। ऑस्ट्रिया को अगर हम गोर से पढ़े तो यह अस्त्रीय देश भी पढ़ सकते है। यह संस्कृत का ही अपभ्रस है। ऋषिय प्रदेश में रहने वाले ऋषि लोग जब विभिन्न विधा की साधना में महारत हासिल करते थे , जिसमे शस्त्र शिक्षा भी महत्वपूर्ण थी , अलग अलग तरीके के अस्त्रो का उल्लेख तो रामायण और महाभारत में भी साफ़ लिखा हुआ है , अस्त्रो में तरक्की और आधुनिकता हर काल में आयी है।
आस्ट्रिया देश की राजधानी का नाम वियेना है , किन्तु आस्ट्रिया के पुराने साहित्यों में इसका नाम VINDOBAN ( विंड़ोबन ) लिखा गया है।, जो संस्कृत शब्द व्रन्दावन का ही अपभ्रंस है। इसका आज तक प्रभाव यह है की स्वेत ऋषियों का प्रदेश सोवियत रसिया , और आदि के लोग तरह तरह के अस्त्र बनाकर आज भी एक दूसरे को डराने का काम ही करते है।
अब ऑस्ट्रिया के पास ही हंगरी भी है , यह शब्द " श्रन्गेरी " सब्द का
अपभ्रंस है। इस देश में झरने आदि बहुत थे , इसी प्राकृतिक सुंदरता के कारण
इसका नाम श्रन्गेरी पड़ा , और स का उच्चारण ह होने के बाद यह देस हंगरी
बना।
OSINA DECORO नाम का बुद्धिजीवि था , उसने कहा भी , की हमारे देश के युवा अगर अन्य सभी भाषा को छोड़कर संस्कृत सीखे, तो उन्हें अत्यधिक लाभ होगा , क्यू की संस्कृत में ही हंगरी बसा हुआ है।
हंगरी की राजधानी का नाम है BUDAPEST जो बुद्धप्रस्त का ही संस्कृत अपभ्रंस है। और बुद्ध अपने सम्पूर्ण परिवार समेत हिन्दू ही थे।
अब पोलेंड चलते है , इसका एक नगर है CZESTO - CHOWA . इसमें एक प्राचीन देवी का स्थान है, उस देवी को ब्लैक वर्जिन कहा जाता है , यह काली माता का हिंदी अनुवाद ही तो है , और वर्जिन का मतलब अंग्रेजी में कुमारी ही होता है , इसमें हमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए की यह माता काली माता ही है , जिसे आज तक यूरोपीय लोग पहचान नहीं पाए है। और इसमें एक और बात रोचक है , यह मूर्ति ASAN - गोरा नाम के मठ में रखी गयी है , यह नाम साफ़ तोर पर ईशान गोरी , यानि शंकर गोरी का ही संस्कृत अपभ्रंस है।
इन सब के निकट ही यूगोस्लाविया , चेकोस्लाविया आदि देश है , यह सारे शब्द " मालवीय " जैसे शब्दो के तोड़ मोड़ से ही बने है शक स्लावकिय यह दैत्य वंश की जमात यूरोप में थी , उन्ही की दूसरी शाखा शकसेनि कहलाती थी , उसके कुछ लोग आँगुलभूमि यानी यूरोप जा बसे , अंगुल शक सेनानी यानि एंग्लो-सेक्सन कहलाये।
पोलेंड की भाषा में " जरा इधर देखो तो " को "पपशय" कहते है , यह शब्द तो पूरा का पूरा ही संस्क्रत का ही है , पोलेंड के लोगो में विद्धवानो में अपने साहित्यों में लिखा है " भारत दर्शन से विश्व दर्शन हो जाता है , जिसने भारत देख लिया उसने सारा जगत देख लिया। ऐसे उदाहरणों का कोई अंत नहीं है , लिखते ही रहो
आइये हम अपनी संस्कृति और विशाल धर्म को फिर से वही विशाल और सम्रद्ध हिन्दू विश्व राष्ट्र बनाने की ठाने।
सत्य सनातन जय श्री राम।
OSINA DECORO नाम का बुद्धिजीवि था , उसने कहा भी , की हमारे देश के युवा अगर अन्य सभी भाषा को छोड़कर संस्कृत सीखे, तो उन्हें अत्यधिक लाभ होगा , क्यू की संस्कृत में ही हंगरी बसा हुआ है।
हंगरी की राजधानी का नाम है BUDAPEST जो बुद्धप्रस्त का ही संस्कृत अपभ्रंस है। और बुद्ध अपने सम्पूर्ण परिवार समेत हिन्दू ही थे।
अब पोलेंड चलते है , इसका एक नगर है CZESTO - CHOWA . इसमें एक प्राचीन देवी का स्थान है, उस देवी को ब्लैक वर्जिन कहा जाता है , यह काली माता का हिंदी अनुवाद ही तो है , और वर्जिन का मतलब अंग्रेजी में कुमारी ही होता है , इसमें हमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए की यह माता काली माता ही है , जिसे आज तक यूरोपीय लोग पहचान नहीं पाए है। और इसमें एक और बात रोचक है , यह मूर्ति ASAN - गोरा नाम के मठ में रखी गयी है , यह नाम साफ़ तोर पर ईशान गोरी , यानि शंकर गोरी का ही संस्कृत अपभ्रंस है।
इन सब के निकट ही यूगोस्लाविया , चेकोस्लाविया आदि देश है , यह सारे शब्द " मालवीय " जैसे शब्दो के तोड़ मोड़ से ही बने है शक स्लावकिय यह दैत्य वंश की जमात यूरोप में थी , उन्ही की दूसरी शाखा शकसेनि कहलाती थी , उसके कुछ लोग आँगुलभूमि यानी यूरोप जा बसे , अंगुल शक सेनानी यानि एंग्लो-सेक्सन कहलाये।
पोलेंड की भाषा में " जरा इधर देखो तो " को "पपशय" कहते है , यह शब्द तो पूरा का पूरा ही संस्क्रत का ही है , पोलेंड के लोगो में विद्धवानो में अपने साहित्यों में लिखा है " भारत दर्शन से विश्व दर्शन हो जाता है , जिसने भारत देख लिया उसने सारा जगत देख लिया। ऐसे उदाहरणों का कोई अंत नहीं है , लिखते ही रहो
आइये हम अपनी संस्कृति और विशाल धर्म को फिर से वही विशाल और सम्रद्ध हिन्दू विश्व राष्ट्र बनाने की ठाने।
सत्य सनातन जय श्री राम।
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