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Friday, January 13, 2017

Bakhtiyar khilji ki sachai

भारत का ऐसा वीर योद्धा जिसका नाम शायद आपने आज से पहले नहीं सुना होगा

उस योद्धा के बारे में हम जानेंगे , पर उससे पहले जानेंगे , उसने किस मुस्लिम लुटेरे को खदेड़ कर मारा था , एक ऐसा हिन्दू शूरवीर बुद्धिमान राजा जिसका अनुसरण करना हर एक हिन्दू का कर्तव्य है. उस लुटेरे का नाम था बख्तियार खिलजी, जिसको हिन्दू शूरमा ने दौड़ा  दौड़ा  कर पीटा।

मानव प्रगति के इतिहास में बख्तियार खिलजी एक अधम नाम है , सारे संसार के विख्यात हिन्दू शिक्षा केंद्रों को खोज खोज कर नष्ट कर इसने अपनी दुष्ठता का परिचय दिया। यह शैतान गुलामो के बाजार में कई बार बिका था, कई बार इसको नोकरी ने निकाला गया , मगर इसका नाम बड़ा लंबा चौड़ा , भारी  भरकम और उच्चारण में क्लिस्ट और तड़क भड़क वाला था " मलिक इख्तयार उदू  दीन  मुहम्मद इब्न बख्तियार खिलजी " .

आदम काल से मानवता ने ज्ञान एवम प्रगति की व्रद्धि एवम सुरक्षा के लिए यदि चोटी  का  जोर लगा रखा है , मगर बख्तियार खिलजी शैतान मुस्लिम हमलावरों के उस गिरोह का सदश्य था , जिसने पुस्तको , ग्रंथो , और हिन्दू शिक्षा एवम विधा केंद्रों को दीमक की तरह चाट लिया था।

बघेरो और भेडियो के इस इंसानी गिरोह में उसका पद प्रतिष्ठा का था , क्यू की दूसरे मुसलमान  लुटेरो की तरह ही वो अपनी सीमा में खुस नहीं था , वह चारो और सूंघता फिरता था , अपने दानवीय उन्माद में वह प्राचीन हिन्दू शिक्षा केंद्रों आदि को खोजता फिरता था , जिनको तोड़ने का फतवा शायद उसे अरब से मिला था , क्यू की भारत को इस्लामिक देश बनाने की चाह  इनकी आज की नहीं है , आप किसी भी मुस्लिम मित्र गजवा ए  हिन्द की क्या हदीस है , इसका मतलब पूछ ले , यह वही हदीस है , जिनमे  मुहम्मद साहब की हार्दिक इच्छा है की भारत के सुलतान यानी राजा को जंजीरो में बाँध के सड़को पर घसीटते हुए , भारत के हर एक हिन्दू का  तो खतना करवाया जाए , या फिर उसको मुसलमानो वाली दोखज पहुंचाया जाए , यही वजह है की मुसलमान  आज भी वंदे  मातरम् नहीं बोलते , जन  गण  मन राष्ट्रगान का सम्मान भी आजकल तो इन्होंने करना बंद कर दिया है , आप और हम में से कुछ लोग  यह सोचते है की भारत के मुस्लमान पाकिस्तान के लिए वफादार है , तो यह बात सरासर गलत है , भारत के मुसलमान  आज भी अरब के लिए वफादार है , उनकी पूजा पद्धति भी इसी बात का पुख्ता है, पाकिस्तान तो दरअसल इस्लामिक देशो में परमाणु सम्पन्न सक्तिसाली देश है , जो समय आने पर हिन्दुओ के विरुद्ध अपना आखिरी जिहाद करेगा , जिसके लिए अपने पूर्वजो की तरह वो आज भी लगातार प्रयासरत ही है , समय समय पर घुसपेट करवाता है , सोये हुए हिन्दू सेनिको को मारता है , कश्मीर में हिन्दू सेनिको को मुसलमान  पत्थर मारते है , इधर इनके भाई बंधू पुरे भारत में रोना स्टार्ट कर देते है , बर्मा में मुसलमानो पर जब अत्याचार होता है , तो भारत में वो शहीदों की स्मारक तोड़ते है , बंगाल में दंगे करते है , गुजरात में करते है , उत्तरप्रदेश में करते है , यह इनका गजवा ए  हिन्द के लिए जिहाद नहीं तो और क्या है ??? आपको पता है सिरिया कभी ईसाइयो का देश हुआ करता था , जिसमे एक एक ईसाइयो और को मारकर या बलपूवर्क  मुस्लमान बनाया गया , अब आते है इनके जिहाद से दुबारा बख्तियार खिलजी की और।

इस पशु ने ठान ली थी की भारत के सारे शिक्षा मंदिर वो तोड़कर ही रहेगा , नालंदा विश्वविद्यालय  इन्ही में से एक था ,  यह पापियो का शहजादा  और मानव जाति  पर काला  धब्बा था , फिर भी बिहार में एक नगर का नाम बख्तियारपुर है , बगल में ही इनके शिकार नालंदा की लाश पड़ी है , जिनके कारण देश  बर्बादी हुई उनके नाम आज भी यहाँ है यह कैसा देश है ??? यह डरपोक भारत और हिन्दू की १००० सालो की विशेषता है , इस अभागे देश के शहरो और नगरो के नाम आज भी वैसे ही है , इलाहाबाद , अहमदाबाद , महमुदाबाद यह सब भारत की गुलामी की चमचमाती मुहर है , ना जाने यह मुहर कब छूटेगी।

भारत के मुसलमानो का मानना है की बख्तियार बहुत ही स्फूर्तिशाली , वीर , साहसी , बुद्धिमान और न्यायप्रिय आदमी था , नालंदा विश्वविधालय  तोड़कर उसने हिन्दुओ के साथ कौनसा न्याय किया ?? क्या हिन्दू मुस्लिम की दोस्ती अब भी हो सकती है , जब हमारे ही हत्यारो की शान में कसीदे पढ़ वो हमारे घावों पर नमक लगाते है।

बख्तियार गर्मसीर प्रान्त के गौर  स्थान का एक खिलजी था , जन्मजात  उत्पाती  और दुष्ट  होने के कारण लूटमार में प्रवीण होने के लिए मुहम्मद गोरी के पास गया , उसने इस अंतरास्ट्रीय डाकू सरदार की हर प्रकार से खिदमत की , उसके घरेलु कामो में भी हाथ बंटाता  था , उसकी कामाग्नि को शांत करने के लिए ओरतो की दलाली भी उसने की।

बख्तियार सबसे पहले दीवाने अर्ज ( प्रार्थना कार्यालय ) में नियुक्त हुआ , पर वहां इसे अयोग्यता का प्रमाण पात्र देकर निकाल दिया गया , तब मुस्लिम लुटेरो के साथ मिलकर वह भारत घुस आया , दिल्ली के नजदीक मुस्लिम सेनिको से ही उसे लात खानी पड़ी , और वह वापस लौट गया। उत्तर भारत उस समय भूकम्प की पीड़ा अवस्था में था , मुस्लिम आक्रमणों और अत्याचाओं से सारे नगर उजड़े पड़े थे , इस हड़कंप का फायदा उठा वह बंदायू तक जा पहुंचा  और , उसने वहां मुस्लिम लुटेरे दलपति हिजबरूदीन के यहाँ नोकरी की और हिन्दू हत्या अभियान में सामिल होकर अपनी प्रतिभा का नगाड़ा उसने बजा  दिया, उच्च मर्दांगनी की कुंजी उसे मिल गयी , वह कुंजी थी हिन्दू घरो को लूटना , हिन्दू स्त्रियों पर अत्याचार करना , उनका निर्मम बलात्कार करना , हिन्दू सम्पति को बटोरना , हिन्दू हांथी घोड़ो को चुरा लेना, मुस्लिम दुस्टो का फसल काटकर या उसमे आग लगाकर उसे नष्ठ कर देना , बस उसे इतना ही करना था , धीरे धीरे वह इस दुष्ट लुटेरे दल  का सरदार हो गया। हिन्दू सम्पतियो को लूटते लूटते इसके पास अपार धन सम्पदा एकत्रित हो गयी , और अत्याचार करने में यहाँ के हिन्दू देश के मुसलमान  भी उसका हाथ बंटाने लगे , अभी इसका ताजा उदाहरण आप बंगाल का धुला गढ़ ही देख लीजिये। बख्तियार खिलजी के बड़े बड़े लूट के कारनामे कुत्तुबदीन ऐबक तक भी पहुंचे , जिसने इस लुटेरे को पोशाक  देकर पुरे भारत और मुस्लिम समाज की और से सम्मानित किया।

उत्तरप्रदेश एवम बिहार के सारनाथ , कुशीनारा , आदि प्राचीन हिन्दू विश्वविद्यालय तोड़ने का श्रेय इसे ही जाता  है , या साफ़ कहें इस्लाम को जाता है उसने पाषाण भवनों की नींव तक खोद डाली , और नगाड़ा  बजाकर अपनी दुस्तता को हिन्दुओ के कानो में पहुंचाता की आज उसने यहाँ हिन्दू की यह ईमारत , मंदिर या भवन तोड़े।  भारत के मुस्लिम काल में वह स्वर्ण युग था , लेकिन केवल मुसलमानो के लिए , वे लोग हिन्दू घरो को आग एवम खून से लाल कर लूट कर ले जाते थे।

इन अद्भुत शिक्षा केंद्रों में शिक्षा पाने के लिए सारे संसार से सुदूर मिश्र एवम अरब से लेकर चीन और जापान तथा दक्छिणी दिप समूह के रूस तक से भी लोग आते थे , कताई , बुनाई, आयुर्वेद , विज्ञानं , , शाशन कला  , बैंकिंग, अर्थशास्त्र, शस्त्रनिर्माण , धनुर्विज्ञान , अध्यात्मवाद , दर्शनशास्त्र , मनोविज्ञान , तर्कशास्त्र , सेनयपूर्ती , ऋतुविज्ञान , संगीत आदि अनगिनत विषयो का अध्यन्न यहाँ होता था।  मगर जब उन जगहों पर बख्तियार खिलजी घुसा, तो केशरहित ब्राह्मण पढ़ा रहे थे , विद्यार्थी शिक्षा ले रहे थे , मगर इन दुस्टो ने वहां एक भी जिन्दा नहीं छोड़ा , शिक्षा के मंदिर अब खून का दरिया बन चुके थे , पुस्तको के समेत ही उन्हें जलाकर भस्म कर दिया गया।  इन सब लूट के बाद खिलजी कुत्तुबदीन ऐबक के पास आया , वहां उसे बहुत मान सम्मान मिला , भारत में रहने वाले मुसलमानो की आँख का वो तारा बन गया , जो आज तक है।  अब धयान देने वाली बात यह है की इन विश्वविद्यालयो पर हमला एक आतंकवादी हमले की तरह ही था , जिसे भारत के मुस्लमान बहादुरी बताते है।  हिन्दुओ की हत्याओ से पुरे भारत और इस्लामी जगत में बख्तियार का नगाड़ा बज गया की उसने बड़ी बहादुरी का काम किया है।  उस समय भारत में छोटी छोटी जगह पर कई मुस्लिम शाशक काबिज हो चुके थे , हालांकि उन सब का काम हिन्दू धन और स्त्रियों को लूटना ही था , मगर इन सभी जल्लादो के बिच एक होड़ मची हुई थी , और जो ज़्यादा बाजी मार ले जाता, उससे बाकी सभी मुस्लिम शाशक जलने लगते।  में यहाँ तक दावे के साथ कह सकता हूँ , की इन अरबी अनपढ़ लुटेरो के पास इतनी बुद्धि थी ही नहीं की उस समय अपने सिक्के चला सके , इसलिए हिन्दू सिक्को पर ही अपना स्टिकर लगा चला दिया , जिसे कहकर आज मुस्लिम लोग एकता की दुहाई देते है , इन पसुओ की बढ़ाई  करते है।

बख्तियार खिलजी का बंगाल पर अत्याचार

यहाँ सबसे पहले उसने उस समय की बंगाल की राजधानी नदिया में प्रवेश किया , , वहां पहुंचकर उसने किसी से किसी तरह की छेड़खानी नहीं की , और दुर्ग महल तक जा पहुंचा , वह बिना किसी दिखावे के आगे बढ़ता रहा ताकि कोई समाज ना पाए की वो कौन है , लोगो ने सोचा वह कोई व्यापारी है , और बेचने के लिए घोड़े लाया है , इसी तरह वह राय  लखमिनिया के घर तक पहुँच गया , तब उसने तलवार खिंच उनपर आक्रमण कर दिया , उस समय सभी लोग भोजन पर बैठे हुए थे , खाद सामग्री से परिपूर्ण सोने के बर्तनों में खाना परोशा जा रहा था , एकाएक ही महल से चीखे आणि शुरू हो गयी , महल में धोखे से घुस उसने कई राजपरिवार के लोगो को मौत के घाट  उतार  दिया , उनका सारा खजाना और पत्निया सारे राजपरिपर को खत्म कर लूट ली , पुरे बंगाल में फिर इस्लाम की मशीन चली , बहुत निर्मम तरीके से बंगाली मानुष पर जुल्म और अत्याचार की जैसे वर्षा हो गयी।  इस लुटेरे का हौसला इस समय सातवे आसमान पर था।  अब उसने आसाम पर  चढ़ाई करने की ठानी।

आसाम में इस दुष्ठ के गुरुर का अंत

जर  जोरू और जमीन  की बख्तियार की भूख बढ़ती जा रही थी , माया आतंक और हथियारों का प्रयोग उसने चीन और तिब्बत में भी करना चाहा, उसने दस हजार की सेना बिहार के एक मुस्लिम शाशक के साथ मिलकर आसाम पर चढाई की।  हाँ यह बिहार का मुस्लिम शाशक पहले हिन्दू ही था , पर मुसलमान बनने के बाद मनुष्य किस कदर अपने देश के लिए गद्दारी करता है , इसका जिवंत उदारहण यही है।

बख्तियार खिलजी ने पहले चोरो की भांति वहां अपनी सेना की टुकड़ी छोड़ दी जिससे भागने के मार्गो का पता चल सके , बाकी सेना के साथ वह आसाम कमी घुस गया और तिब्बत की और बढ़ा , १२४३ को उसने बनगांव और देवकोट के बीच  अपना पड़ाव डाला, एकाएक आसामी शासक की हिन्दू सेना ने उनपर आक्रमण कर दिया , पहली बार हिन्दुओ ने इन दुस्टो की नाड़ी पकड़ सूझबूझ का परिचय दिया , आसामी राय की गिनती उन गौरवशाली राजाओ की जानी चाहिए , जिन्होंने अपने नागरिको की सुरक्षा को ही धर्म समझा, सुबह  नमाज़ का समय था , और हिन्दुओ की सेना ने इन्हें गाजर मूली की तरह काटना शुरू कर दिया , बड़ी संख्या में वहां मुसलमानो का नरसंघार हुआ , हैरत की बात यह है की उन आसामी वीरो के पास हथियार में सिर्फ बांस थे , और धनुष ,  बख्तियार खिलजी राजा असामी राय की सेना से बिलकुल भयभीत हो चुका था , उसकी १० हजार से अधिक सेना की टुकड़ी में दोपहर होते होते सिर्फ १०० लोग ज़िंदा थे , अब बख्तियार खिलजी ने येन केन प्रकारेण वहां से भागने के उपाय शुरू कर दिए , पर यहाँ भी आसामी सेना ने उसका पीछा  नहीं छोड़ा ,आसामी सेना ने इस बात का पूरा ख्याल रखा की भागते समय इनको काने का एक दाना और पिने के पानी की एक बून्द नसीब नहीं हो , अतः  कुछ सेनिको के साथ भागे हुए बख्तियार और उनके सेनिको को अपने ही घोड़े मारकर खाना  पड़ा , वो जैसे जैसे नदी में कूदकर किसी लाश के सहारे अपनी जान बचाकर  वापस लौटा , पर उसकी सेना पूरी खत्म हो चुकी थी , मुस्लिम विधवाएं और बच्चे उसे आते जाते को गाली देते , शर्म से उसका घर से बाहर निकलना बंद हो गया , इस सितारे के पतन के  बाद अल्लाह ने उसकी जान उसी अंदाज में भी ली , एक डाकू के छुरे  से दूसरा डाकू मारा गया , १२०५ में मुह छुपाये बख्तियार आराम कर रहा था , अली मरदान  उसके कक्ष में आया और गालीया देकर तब तक छुरा  घोंपता रहा जब तक यह दुष्ट खत्म नहीं हो गया पर इस राक्षस हन्ता  का सारा श्रेय आसामी राय को जाना चाहिए , जिसने बिना विलम्ब किये इस मुसलमानी लुटेरे को जड़ से समूल नाश कर अपनी कर्तव्यपरायणता और जागरूकता का परिचय दिया

हे भगवान  हमें ऐसे ही वीर और प्रतापी योद्धा आप प्रदान करो
राजा आसामी राय की जय
हिन्दू प्रजा की जय
भारत माँ की जय

2 comments:

tanmay said...

Sachhai ko puri sachhai ke tarh pesh kro adhi milavat krte ho yr

Capt S B Tyagi said...

उसका अंत बहुत भयानक तरीके से हुआ, नदी के किनारे रेत पर ले जाकर भीड़ ने उसके दोनों हाथ रस्सियों में बांधकर खींचा फिर उसके दोनों हाथ काट डाला गया। इसके बाद उसे रस्सियों में बांधकर नगर के गलियों में पशुओं की तरह घुमाया गया। इस दौरान छतों पर से लगातार वे औरतें गन्दगी की बारिश उसपर करती रहीं थी। ये वही औरतें थीं जिनके मर्दों और बच्चों का इसने कत्ल किया था। गन्दगी में लिथड़ा हुआ खिलजी की कई घण्टों तो इसी तरह तड़पते हुए मौत हो गयी थी।

यह इतिहास कितनो को पता है यह मैं नहीं कह रहा इस्लामिक दस्तावेज ही कह रहे है । लेकिन इसे क्यों छुपाया गया है समझ से बाहर है। एक फ़ारसी इस्लामिक इतिहासकार गुलाम हुसैन सालिम ने अपनी किताब “रियाज-उल-सलातिन" में इसका पूरा विवरण प्रस्तुत किया है। कुणाल किशोर की पुस्तक "Ayodhya Revisited " मेँ भी इसका विवरण दिया गया है (पेज नम्बर 472).