अगर आप यह सोचते है कि लखनऊ शहर का निर्माण किसी मुस्लिम आक्रमणकारी विदेशी ने किया तो यह निराधार और कोरा झूठ है।। आक्रमणकारी भी कभी किसी के घर बसाते है क्या? यह मुस्लिम तो आक्रमणकारी ही थे भारत में, वरना हिन्दुओ की भूमि पर इनका क्या काम? वे तो किसी भी नगर पर चढ़ते, उसे लूटते खसोटते, उसे निर्धन करते, उसको विनष्ट और विध्वंश कर देते थे ।। अगर आज का लखनऊ गन्दी बस्तियों, बदबूदार नालो, और घरों के नाम से पुकारी जाने वाली संधाड़ भरी मध्यकालीन गन्दी गन्दी झोपड़ियों का नगर हो गया है , और यह सर्वनाश की स्तिथि भी लखनऊ पर इस्लामी शाशन की शताब्दियों का दुष्परिणाम ही है ।। हमारे अपने आजादी के काल में ही पाकिस्तान ने १९७१ से से 1972 की अवधि के मध्य बांग्लादेश में उस नैतिक और शारीरिक सर्वनाश की एक चक्करदार झलकी प्रस्तुत करके दिखाई थी, जो बताता था, की इन राक्षसों के पूर्वज कैसे रहे होंगे ।। सीरिया से लेकर पूरे मेसोपोटामिया में ही इनकी शांति की झांकिया आज भी आप प्रत्यक्ष आँखों से देख ही सकते है ।।

लखनऊ का तो नाम ही लक्षमनावती उपनाम लक्ष्मणपुर का एक अधूरा अपभ्रंस रूप ही है।। लक्ष्मण राम का स्वामिभक्त भाई ताज जिसने रावण के विरुद्ध युद्ध में विजय तक राम का साथ दिया था ।।
लखनऊ शताब्दी का एक मूल शुत्र प्राचीन बंगाल की राजधानी से भी मिल सकता है, जिसे लखनोती कहा करते थे ।।संस्कृत भाषा में लक्ष्मण का हिंदी में लखन हो जाता है, अतः जो नाम प्रारंभ में लक्ष्णवती था, वह इस्लामी आक्रमण की मार झेलकर विकसित गँवारू, बाजारू भाषा में "लखनोती " नाम उच्चारण होने लगा ।। हो सकता है कि लखनऊ जो पहले लक्षणावती था, वो अब " लखनोति " कुच्चारण किया जाने लगा था ।। बीतते बीतते अंतिम अक्षर लोप हो गया और यह " लखनो "कहलाने लगा ।। जो आज लखनऊ कहलाता है।।
ऐसे ही इस्लामी राज रहा तो, इसका नाम कोई काजिस्तान भी पड़ जाए तो इतिहास को हैरत ना होगा।।
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