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Monday, January 23, 2017

adolf hitler

एफोल्फ हिटलर ( मेरी नजर से ) - #पुरोहितवाणी ·
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१९२४ में अडोल्फ हिटलर ने राष्ट्रवाद और देशभक्ति के जनून से ओतप्रोत एक किताब " मेरा संघर्ष लिखी। उसका आखिरी सन्देश यह की जो देश सेक्युलरजिम से दूर रहेगा , वही दुनिया पर राज करेगा , ,,उसकी एक आवाज पर , उसकी एक झलक पाने को जर्मनी की जनता कतारो में लगती थी , एक एक जर्मन की रूह अपने नए हीरो हिटलर को देखकर खड़ी हो जाती , बोलने के लहजे लेकर स्पष्ठ रूप बात पुरे जोश साथ कह , जनता के दिल में घर कर लेने का उनका गजब का हुनर था , पूरा स्टेडियम हिटलर के जोश और सम्मान में " हिप - हिप हुर्रे " करता।
जन्म हुआ २० अप्रैल १८८९ को , यह ऑस्ट्रियन जो अचानक ही कहीं से आता है , पूरी जर्मनी के साथ यूरोप पर भी कब्जा कर लेता है , कैसे वो इतना कामयाब रहा की १० साल के बच्चे में भी उसने राष्ट्रवाद की अग्नि प्रज्ज्वलित कर दी , और पूरी दुनिया के सेक्युलर और नास्तिक लोगो को किस तरह इन नाजियों ने सर्वनाश की और धकेला , सारा जर्मन लाल रक्त के रंग वाले नाजी ध्वज , जिसपर हिन्दुओ का स्वस्तिक अंकित है , इसे जर्मन के लोग पूरी दुनिया पर फहराना चाहते है , आखिर यह हिटलरफिनोमिन सफल कैसे हो गयी।
मेरा संघर्ष हिटलर में लिखते है , " प्रथम विश्व युद्ध मेरे जीवन की वह घटना है , जिसे में कभी नहीं भुला पाऊंगा " प्रथम विश्वयुद्ध में सेना के लिए एक कुरियर में का काम हिटलर कर रहे थे , वो एक चौकी चौकी तक भारी बम्बबारी के बीच भागकर अपने साथी जवानों के सन्देश पहुंचाते थे , जो उस समय सेना बहादुरी का काम माना जाता था , और बेहद ही खतरनाक काम है, इसी वीरता के लिए के लिए उन्हें वैदिक संस्कृति के आंग्ल नाम " आर्यन क्रॉस " मतलब स्वस्तिक से नवाजा जाता है , जिसे वो हर समय अपनी भुजाओ पर बाँध कर रखता था , और यही हिटलर का प्रतिक चिन्ह भी था।
हमने भारत में इस्लाम में इस्लाम भयंकर भयंकर रूप देखे , और झेले , हम्मे आज तक जाग्रति नहीं आयी , पर प्रथम विश्वयुद्ध के बाद अपने ही साथियो की लाशें देखकर जीवन का महत्व समझ जाता है , की जीवन मात्र संघर्ष के कुछ नहीं , खुद को बचाना है तो शस्त्र तो उठाने ही होंगे , किसी भी कीमत पर। आज नहीं तो कल।
धीरे धीरे हिटलर एक कट्टर राष्ट्रवादी बन जाता है , और तय करता की वो अब जर्मन की राजनीति में आएंगा , लोगो को अपनी और कैसे खिंचा जाता है , या लोगो के दिल और दिमाग़ राष्ट्रवाद का जूनून कैसे भरा जाता है , या अपने राष्ट्र को को एक कैसे किया जा सकता है , यह सब हिटलर के एक एक भाषण में छुपा हुआ है। उसके भाषण जर्मन के लोगो के लिए प्रेंरणा बन गए
जैसा की प्रथम विश्व युद्ध के बाद एक फैक्ट्री में भाषण देते समय कहता है
" मेरे प्यारे देशवाशियो , में आपके बिच में से ही उठा हूँ , में आप लोगो में से ही एक था , जंग के ४ सालो के दौरान में बिलकुल आपके साथ था , किन्तु धीरे धीरे पक्के इरादों के साथ , खुद को समझा सिखाकर , और बहुत सी तकलीफे झेलकर , मेने खुद को ऊपर उठाया , पर अंदर से मेरा विश्वाश कीजिये आज भी में वही हूँ , जो में पहले था।
लगातार मिलती लोकप्रियता उसे राजनीती के और करीब ले जाती है , इधर प्रथम विश्वयुद्ध की एक घटना जिसका हिटलर पर बहुत प्रभाव पड़ा था , वह थी , युद्ध के दौरान , हिटलर का अपनी आँखे अस्थायी रूप से खो देना , हिटलर जर्मन के एक हॉस्पिटल में थे , और यहाँ उनके साथी सेनिको को बंदी बनाया जा रहा था।
पुरे शहर जर्मन सेना को निसश्त्र कर , परेड करवा जर्मन के कुछ भागो से बाहर किया जाता है , यह अपमानजनक हरकत फ्रांस करता है , जिसका नाम क्रूरता में इस्लाम से भी अग्रणी रहा है , अब आप फ्रांस को लेकर हिटलर की नफरत का कारण समझ सकते है , जिन जगहों पर कभी जर्मनी का ऐतिहासिक अधिकार था , फ्रांस द्वारा उन्ही के सेनिको को बड़े ही अपमानजनक तरीके से बाहर किया जाता है , जिसे यह सैनिक कभी नहीं भूलेंगे , और आने वाले समय में " हिटलर " इनका नेतृत्व करेगा।
इस हार के लिए जर्मन और जर्मन के सैनिक मानते है की घर के देशद्रोहियो ने ही फ्रांस की मदद की थी , क्यू की यहूदियो को अपने लिए स्वतंत्र राष्ट्र चाहिए था , और इस्लाम के मूल जनक यहूदियो ने अपने पुत्र के नक्शेकदम पर चलते हुए , दे दनादन जनसँख्या बढ़ाना शुरू कर दिया , बेरोजगारी बढ़ी , ऊपर से राष्ट्रद्रोह का आरोप , और वास्तव में यहहूंदी लगातार अपने लिए नए राष्ट्र के लिए संघर्ष ही कर रहे थे , इसीलिए उन्होंने जर्मनी के साथ गद्दारी की , यह जर्मन के मुलनिवाशी नहीं थे , रसिया में इन्हें कम्युनिस्ट ने मार कर भगाया था , और कुछ अरब से भाग के आया है , इधर हिटलर की दृस्टि वापस आ जाती है।
इधर प्रथमविश्वयुद्ध में एक बहुत ही अपमानजनक संधि जर्मनी के साथ मित्र राष्ट्र करते है, वर्साय की संधि ,
इस संधि में जर्मनी की सैनिक संख्या सिर्फ एक लाख तक रखने की शर्त जर्मनी के साथ रख दी , उनके हवाई जहाजो को प्रतिबंधित कर दिया गया , नो सेना को सिमित कर दिया , केवल ६ पनडुब्बी रखने की इजाजत उन्हें मिली , और जर्मनी के अंदर भी अपनी सेना छोड़ दी , की जर्मनी की सेना की हर गतिविधियो पर वह नजर रख सके। इससे ज़्यादा अपमानजनक और क्या हो सकता है , की आप की देश के हार के जिम्मेदार खुद के देश में कभी आश्रित पाए अपनों की गद्दारी हो , जर्मन के लोगो का इन आश्रितों की वजह से अपने ही देश में अधिकार नहीं रहा , जैसे हमारे राष्ट्रद्रोही धर्म की वजह से पाकिस्तान और बांग्लादेश हमारा नहीं रहा , अभी भी विश्व के प्रत्येक कोने में , प्रत्येक देश में इनका अपना मुक्ति संग्राम चालू है , किसी ना किसी तरह से हिन्दुओ को , और हिंदुस्तान को नीचा दिखाने का काम एक कोम करती है , हमारे ही देश में हम हिन्दुओ के घरो में आग लगाई जाती है , हिंदूवादी संगठन से जुड़े लोगो की हत्याएं की जाती है , जो महल , स्तम्भ हमारे हिन्दू पूर्वजो ने बनाये , उनपर विदेशी लुटेरो का मालिकाना हक़ बताकर हमारे देव तुल्य पूर्वजो का अपमान करते है , श्री राम के ही इस देश में हम श्री राम का मंदिर उनके जन्म स्थान पर नहीं बना सकते , जिस प्राणी " गाय " को हम माता मानते है , उसी का गला काट , हमारे धर्म , हमारी मान्यताओ , हमारे देश की संस्कृति का अपमान करते है। हम बहुसंख्यक है , यह देश भी हिन्दुओ को धर्म के नाम पर ही मिला था , किन्तु अरब के धन और छुपे हुए राष्ट्रद्रोहियो के कारण यह बड़ी आसानी से सत्ता तक पहुँच गए , हमारे दया और धर्म का इन्होंने उपहार बंगाल और कश्मीर में हिन्दुओ की हत्या और बलात्कार करके दिया।
हिटलर को लगता है की उनके जर्मन ईगल को यहूदियो ने ही मारा है , अगर उस समय १० - १५ हजार यहूदियो पर जहरीली गेस छोड़ी जाती , तो हमारे लाखो जर्मन की क़ुरबानी बेकार नहीं जाती , इसी तरह विभाजन के समय हिन्दू ७० प्रतिशत और मुस्लमान ३० प्रतिशत थे , उसी समय भी रगड़ देते तो विभाजन भी नहीं होता , और आज यह दिन भी नहीं होता।
हिटलर अपने विश्व युद्ध की सभी तैयारी के लिए गीता और संस्कृत का नियमित पाठ करता है , ऐसा उसके वह सैनिक भी करते है , जो पप्रथम विश्वयुद्ध में अपमानित थे , हिटलर खुद को आर्य कहता है , अर्जुन खुद को समझने लगता है , श्री कृष्ण के रूप में वह गीता को पाता है , और निकल पड़ता है , फिर से जर्मनी को उसका सम्मान दिलाने " वर्साय " की वो अपमानजनक संधि खत्म करने।
हिटलर ने सत्ता प्राप्त करते ही , पहले घर के विभीषणों का सफाया करना शुरू किया ,अपने खुद के प्रयासों से जर्मनी की सैनिक और हथियारों की शक्ति बढ़ाने पर उसने जोर दिया , जर्मन की इनकम का बहुत बड़ा हिस्सा उसने हथियारों की बृद्धि पर ही लगाया , अब उसकी कल्पना में सिर्फ अखण्ड जर्मनी नहीं , बल्कि सारा विश्व ही था ,हिटलर अपनी खुद की नागरिक आर्मी सेना भी बनाता है , उसके जोश से नागरिको की ही सेना लाखो पार पहुँचते है , अपने ही लोगो के साथ मिलकर अपना अखबार शुरू करते है , ताकि लोगो तक सच पहुंचा सके।
१ सितंबर १९३९ की सुबह हिटलर ने जर्मनी के एक भाग जो अलग हो चूका था " पोलेंड " , यहीं हिटलर आसमान ने आग बरसाना शुरू करता है , इधर ३ सितंबर को इग्लेंड ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी , २७ सितंबर को रूस की सहायता से पोलेंड पर जर्मनी का का फिर से अधिकार हो जाता है।
पोलेंड के बाद अब हिटलर का निशाना फ्रांस है , मगर बीच में नार्वे , डेनमार्क , और स्वीडन को भी निपटा देता है अप्रैल १९४० में हिटलर डेनमार्क पर कब्ज़ा कर लेता है भयभीत फ्रांस की राजधानी अब पेरिस नहीं रहती , यहीं उसी रेल के डिब्बे में , जिसमे वर्षाय की अपमानजनक संधि हुई थी , हिटलर फ्रांस पर हमला कर खुद अपने हाथो से उसे स्वाहा करता है , और उस ट्रैन के डिब्बे को बाद में बम से उड़ा देता है।
२१ जून १९४१ तक आते आते फ्रांस भी जर्मनी के आगे आत्मसमर्पण कर देता है , और संधि की प्रार्थना करता है , फ्रांस का सारा उतरी भाग अब जर्मनी का है , हिटलर की अपने सेनिको की अपमान की आग भी पूरी हो चुकी है
अब हिटलर का अगला निशाना इग्लेंड है , और नेताजी की मिश्रित रणनीति भी , इससे अगली पोस्ट में

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