आम
लोगो की यह धारणा बनकर रह गयी है कि रामायण केवल भारत और हिन्दुओ का ही
ग्रन्थ है , और वह भक्ति ग्रन्थ और धर्मग्रन्थ है।। अतः पूर्ववर्ती
इंडोनेशिया आदि देशों में जहाँ किसी समय भारतीय राजा का शाशन रहा, उन्ही
देशो में रामकथा पायी जाती है ।।
इन दिनों में आपका यह भरम तोड़ने की कोशिश कर रहा हूँ, की रामायण भक्तिग्रंथ नहीं, बल्कि अपितु त्रेतायुग के महान युद्ध का इतिहास है ।। अब में आपको यह भी बताऊंगा, की रामायण भारत ही नहीं, पुरे विश्व का मान्यवर इतिहास ग्रन्थ रहा है ।। ओरो को छोड़िये हम हिन्दुओ को ही रामायण के बारे में कितना अज्ञान है।।
विश्व में रामायण -
अफ्रीका और अरबिस्तान की सीमा के निकटवर्ती जार्डन नदी के पश्चमी तीर वाले प्रदेश को " गाजा पट्टी " कहा जाता है। वहां का तांडव आजका हर किसी से छुपा भी नहीं है। उसके प्रमुख नगर का नाम है " रामल्ला " । रामलल्ला ( राम +अल्लाह ) रामलल्लाह । अल्लाह शब्द का जुगाड़ करने में रामलला का योगदान अवश्य रहा है।।
अब अफ्रीका में आते है - यहाँ एक देश है इथियोपिया उर्फ़ अबीसीनिया । यह लोग अपने आप को " CHSHITES यानि कुश ले प्रजाजन मानते है ।। और प्रभु श्री राम के एक पुत्र का नाम था "कुश " , प्रभु का अर्थ भी भूमि का स्वामी होता है। और राम ने विश्व विजय कर संसार की समस्त भूमि का आर्यो का अधिकर स्थापित किया था ।।
अब ईजिप्त जहाँ का गद्दाफी था, यह "अजपति- राम " का ही देश है ।।
यूरोप देश में एक नाम रखा जाता है रिचर्ड - यह इसलिए रखा जाता है , की यूरोप में RICHARD THE LION -HEARTED नाम से लेटिन भाषा में काव्य था ।। जो जर्मन और यूरोप के देशों में आज भी है, ध्यान देकर पढ़िए कभी वह रामकथा का ही अंश है।। जितना समय बीतता गया, रामायण में मिलावट लोग करते गये,पर यह रिचर्ड नायक आया कहाँ से?? आखिर ईसाईयो का बस झूठा अहंकार ही है, की वो खुद को आर्य मानने को तैयार नहीं। कोई अशुद्ध नहीं संसार में, अगर वह खुद को वैदिक आर्य धर्म का हिन्दू स्वीकार कर ले ।। हमें उनकी राक्षसी संस्कृति से परेशानी है, उनके रक्त से नहीं ।।
जहाँ जहाँ जनता पर ईसाई और इस्लाम मत थोपा गया, वहीँ से वैदिक समाज की व्यवस्था, पूजा- पाठ , मन्त्र- तंत्र , संस्कृत शिक्षा, और मंदिरों आदि के देवी देवताओं की मूर्ति तोड़कर उन्ही इमारतों को कब्रे, मस्जिद, या गिरजाघर बनाने की प्रथा चालू कर दी गयी ।। इसी प्रकार राम को रिचर्ड इसलिए बना दिया गया, की आने वाली पीढ़ी राम का अस्तित्व ही भूल जाए, और हुआ भी यही यही ।।
ईसाइयो ने 600 वर्ष लगाए, छल और बलपूर्वक लोगो को ईसाई बनाने में, मुसलमान तो इनके भी गुरु निकले, परंतु इनका दोनों का एक और भी बहुत बड़ा अपराध है, की वे अपने पुरखों द्वारा दबाये गये वैदिक परंपरा के इतिहास के साथ जानबूझकर आँख मिचौनी कर रहे है।।
ईसायिपंथ के प्रति यूरोप का झुकाव इतना है, की वह अपने से पहले कोई सभ्यता ही नहीं मानते, उनसे पूछो की तुमसे पहले कौन था? तो एक ही जाहिलाना जवाब होता है - कि उस समय लोग काफ़िर, जंगली, पिछड़े, हिदन, पेगन, ( यानी पेड़ो और नदियों की पूजा करने वाले) आदि गंवार थे । इस तरह गाली देकर यह महामूर्ख लोग यह दर्शा देते है कि उस समय के लोग इतने निकम्मे थे, की उनके इतिहास का शौध करना ही व्यर्थ है ।। और इस तरह तो इतिहास की बड़ी से बड़ी घटना को भी निकम्मा बनाया जा सकता है।।
मुस्लमान भी ऐसा ही करते है, कुरआन और मुहम्मद के अतिरिक्त कुछ आदरणीय है ही नहीं, अतः वे मुहम्मदपूर्व सारे इतिहास को ही काफ़िर कह के पल्ला झाड़ लेते है।।
इन कम्युनिस्टों का भी कम्बख्त यही हाल है, कार्लमार्क्स और लेलिन इनके परमगुरु है। उनके वचनों के अलावा पुरे विश्व में कमीनोनिस्टो को कुछ भाता ही नहीं, कालमर्क्स के समय तक का इतिहास समयदारो की नगण्य धांधलेबाजी कहकर कम्युनिस्ट और उसे टाल जाते है।
जबकि सत्य तो केवल सनातन है।। इसी विषय पर चर्चा विस्तार में फिर कभी ।।
जय श्री राम। #पुरोहितवाणी
इन दिनों में आपका यह भरम तोड़ने की कोशिश कर रहा हूँ, की रामायण भक्तिग्रंथ नहीं, बल्कि अपितु त्रेतायुग के महान युद्ध का इतिहास है ।। अब में आपको यह भी बताऊंगा, की रामायण भारत ही नहीं, पुरे विश्व का मान्यवर इतिहास ग्रन्थ रहा है ।। ओरो को छोड़िये हम हिन्दुओ को ही रामायण के बारे में कितना अज्ञान है।।
विश्व में रामायण -
अफ्रीका और अरबिस्तान की सीमा के निकटवर्ती जार्डन नदी के पश्चमी तीर वाले प्रदेश को " गाजा पट्टी " कहा जाता है। वहां का तांडव आजका हर किसी से छुपा भी नहीं है। उसके प्रमुख नगर का नाम है " रामल्ला " । रामलल्ला ( राम +अल्लाह ) रामलल्लाह । अल्लाह शब्द का जुगाड़ करने में रामलला का योगदान अवश्य रहा है।।
अब अफ्रीका में आते है - यहाँ एक देश है इथियोपिया उर्फ़ अबीसीनिया । यह लोग अपने आप को " CHSHITES यानि कुश ले प्रजाजन मानते है ।। और प्रभु श्री राम के एक पुत्र का नाम था "कुश " , प्रभु का अर्थ भी भूमि का स्वामी होता है। और राम ने विश्व विजय कर संसार की समस्त भूमि का आर्यो का अधिकर स्थापित किया था ।।
अब ईजिप्त जहाँ का गद्दाफी था, यह "अजपति- राम " का ही देश है ।।
यूरोप देश में एक नाम रखा जाता है रिचर्ड - यह इसलिए रखा जाता है , की यूरोप में RICHARD THE LION -HEARTED नाम से लेटिन भाषा में काव्य था ।। जो जर्मन और यूरोप के देशों में आज भी है, ध्यान देकर पढ़िए कभी वह रामकथा का ही अंश है।। जितना समय बीतता गया, रामायण में मिलावट लोग करते गये,पर यह रिचर्ड नायक आया कहाँ से?? आखिर ईसाईयो का बस झूठा अहंकार ही है, की वो खुद को आर्य मानने को तैयार नहीं। कोई अशुद्ध नहीं संसार में, अगर वह खुद को वैदिक आर्य धर्म का हिन्दू स्वीकार कर ले ।। हमें उनकी राक्षसी संस्कृति से परेशानी है, उनके रक्त से नहीं ।।
जहाँ जहाँ जनता पर ईसाई और इस्लाम मत थोपा गया, वहीँ से वैदिक समाज की व्यवस्था, पूजा- पाठ , मन्त्र- तंत्र , संस्कृत शिक्षा, और मंदिरों आदि के देवी देवताओं की मूर्ति तोड़कर उन्ही इमारतों को कब्रे, मस्जिद, या गिरजाघर बनाने की प्रथा चालू कर दी गयी ।। इसी प्रकार राम को रिचर्ड इसलिए बना दिया गया, की आने वाली पीढ़ी राम का अस्तित्व ही भूल जाए, और हुआ भी यही यही ।।
ईसाइयो ने 600 वर्ष लगाए, छल और बलपूर्वक लोगो को ईसाई बनाने में, मुसलमान तो इनके भी गुरु निकले, परंतु इनका दोनों का एक और भी बहुत बड़ा अपराध है, की वे अपने पुरखों द्वारा दबाये गये वैदिक परंपरा के इतिहास के साथ जानबूझकर आँख मिचौनी कर रहे है।।
ईसायिपंथ के प्रति यूरोप का झुकाव इतना है, की वह अपने से पहले कोई सभ्यता ही नहीं मानते, उनसे पूछो की तुमसे पहले कौन था? तो एक ही जाहिलाना जवाब होता है - कि उस समय लोग काफ़िर, जंगली, पिछड़े, हिदन, पेगन, ( यानी पेड़ो और नदियों की पूजा करने वाले) आदि गंवार थे । इस तरह गाली देकर यह महामूर्ख लोग यह दर्शा देते है कि उस समय के लोग इतने निकम्मे थे, की उनके इतिहास का शौध करना ही व्यर्थ है ।। और इस तरह तो इतिहास की बड़ी से बड़ी घटना को भी निकम्मा बनाया जा सकता है।।
मुस्लमान भी ऐसा ही करते है, कुरआन और मुहम्मद के अतिरिक्त कुछ आदरणीय है ही नहीं, अतः वे मुहम्मदपूर्व सारे इतिहास को ही काफ़िर कह के पल्ला झाड़ लेते है।।
इन कम्युनिस्टों का भी कम्बख्त यही हाल है, कार्लमार्क्स और लेलिन इनके परमगुरु है। उनके वचनों के अलावा पुरे विश्व में कमीनोनिस्टो को कुछ भाता ही नहीं, कालमर्क्स के समय तक का इतिहास समयदारो की नगण्य धांधलेबाजी कहकर कम्युनिस्ट और उसे टाल जाते है।
जबकि सत्य तो केवल सनातन है।। इसी विषय पर चर्चा विस्तार में फिर कभी ।।
जय श्री राम। #पुरोहितवाणी
No comments:
Post a Comment