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Monday, January 30, 2017

भंसाली... दम है तो 'कफूर-खिलजी : एक अमर प्रेम' फिल्म बनाओ


यह संजय भंसाली क्या पिटा कि सारे तथाकथित सेक्युलर, बुद्धिजीवी, कलाकार और फ़िल्मी जमात ‘सृजनात्मकता का अधिकार’, सिनेमेटिक क्रिएटिविटी का झंडा बुलन्द किये कूद पड़े है.




प्रसिद्ध इतिहासकार 'इरफ़ान हबीब' ने रानी पद्मावती को कवि मलिक मोहम्मद जायसी की रचना पद्मावत का एक काल्पनिक पात्र कहकर हम हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया है ...
मैं इरफ़ान हबीब से पूछना चाहता हूँ ..
क्या चित्तौड़ का जौहर कुंड झूठा है ..
क्या महारावल रतनसिंह मेवाड़ नरेश नही थे ..
क्या योद्धा गोरा बादल काल्पनिक हैं ..
क्या सदियों से लग रहा जौहर मेला झूठा है ..
क्या आततायी खिलजी झूठा है ...
अगर ये सब झूठा नहीं है तो माता पद्मिनी की कहानी भी झूठी नही हो सकती ...

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