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Sunday, January 29, 2017

लुटेरों की पाप गाथा ---- कुतुबुद्दीन ऐबक

 लुटेरों की पाप गाथा ---- कुतुबुद्दीन ऐबक
इस पोस्ट को पढ़ने से पहले इसका पहला भाग जरूर पढ़ ले, मेरी वाल पर ही है।
देशद्रोही जय चंद - कुतुबुद्दीन जो की गोरी का गुलाम मात्र था , और भारत के हिन्दुओ पर एक गुलाम अत्याचार कर रहा था , गोरी ने अपनी एक सेना की टुकड़ी भेज दी , इस सेना का काम था असुरक्षित नगरो को लूटना , खलियानो को जला देना , कड़ी फसल कुचल देना , जलाशयों में जहर घोल देना , हिन्दू स्त्रियों को मुसलमानो के हरम में बाल पकड़ कर घसीट के लाना , हिन्दुओ के मंदिरो को अपवित्र करना , और आने वाली हिन्दू रुकावटो को हलाल कर देना , अपना पूरा काम कर कुतुबुद्दीन वापस लौटकर गौरी से आ मिला।
जैचंद का विरोधी राजा पृथ्वीराज था , उसका राज्य कन्नौज से वाराणसी तक फैला हुआ था , वीर पृथ्वीराज से लड़ने के लिए धोखेबाज लालची और विदेशी मल्लेछो को भारत आने का निमंत्रण दे इसने भयंकर भूल की थी , यह मादरचोद अब हक्का बक्का होकर देख रहा था , की मुस्लमान तो हर हिन्दू का ही शत्रु है , एक एक को नष्ठ करना ही मुसलमानो का परम कर्तव्य है , मुहम्मद गोरी की तन मन धन से सहायता करने वाले हरामी सुंवर की औलाद जैचंद ने देखा की मुस्लिम सुल्तान उसके फलते फूलते क्षेत्रो को ही रौंदकर संतुष्ठ नहीं है , बल्कि उसको बंदी बनाकर मारने पर तुला हुआ है , विश्वश्घाती मुस्लिम दोस्त की धोखेबाजी से कुपित हो जैचंद अपनी सेना लेकर उससे जा टकराया , विषाक्त मुस्लिम बाण से वह होदे से नीचे गिर गया , भाले की नोक पर उस मादरचोद के सिर को उठाकर सेनापति के पास लाया गया , उसके शरीर को घ्रणा की धूल में मिला दिया गया , तलवार की धार से बुतपरस्ती को साफ़ किया गया। और देश को अधर्म और अन्धविश्वाश से मुक्त किया। ठाठ के साथ हर मुसलमान यह कहते हुए नहीं शरमाता।
" बेशुमार लूट मिली , कई सो हांथी कब्जे में आये , और मुस्लिम सेना ने उसके दुर्ग को भी कब्जे में ले लिया , जहाँ राय का खजाना था।
जयचंद हार गया ---- मारा गया , वाराणसी का प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर असुरक्षित हो गया , मुस्लिम सेना वाराणसी की और बढ़ी , एक हजार मंदिरो को मस्जिद बना दिया गया , यह वाराणसी में उनकी दूसरी पवित्र लूट और ह्त्या थी। पहली बार मुहम्मद गजनवी की मौत के तुरंत बाद अहमद नाम के मुसलमान ने इसे लुटा था। सिर्फ औरन्जेब को ही पवित्र वाराणसी का विनाश का कारण बताना बेकार है , जिस भी मुस्लिम ने यहाँ प्रवेश किया , इस पावन नगरी के मंदिरो को तोड़कर मस्जिद बनाया ,,, मुस्लिम सुंवरो की इस बढ़ती कतार में खुद अकबर भी है।
जब जब वाराणसी पर आक्रमण हुआ , यहब के प्रसिद्द काशी-विश्वनाथ के मंदिर को लुटा गया , मगर हिन्दुओ ने बार बार एकता दिखाकर कम से कम इस मंदिर को तो आजाद रखा ,, लेकिन कब तक ---- औरन्गजेब ने इसे तोड़कर आखिर मस्जिद बना ही दिया। और यह कब तक मस्जिद बना रहता है , यह हमारी मर्दाग्नि पर निर्भर करता है।
आस पास के क्षेत्रो पर भी इन मुसलमानो अत्याचार और आतंक का नंगा नाच हुआ , इसके बाद मुहम्मद गोरी वापस गजनी लौट गया। अब तक यह कोल को जीत नहीं सके थे ,अतः पंगु मुस्लमान कुत्तूबुद्दीन ने वाराणसी से लौटते समय दुबारा इसपर आक्रमण किया , इस बार यहाँ सभी हिन्दुओ को खत्म कर दिया गया , या मुसलमान बना दिया गया
११६२ में मुहम्मद गोरी फिर भारत आया , कुत्तूबुद्दीन फिर उसकी सेना से जा मिलता है , दोनों मुसलमान मिलकर हिन्दुओ के दुर्ग बयाना को घेर लेते है , मगर यहाँ सेना से लड़ने की जगह मुसलमान ओरतो और बच्चो पर अपनी बहादुरी दिखाते है अपनी संकटग्रस्त प्रजा को बचाने के लिए कुंवर पाल आत्मसमर्पण कर देते है।
अब इन मुसलमानो का काफिला ग्वालियर की और बढ़ा , इसका शाशक सुलक्षण पाल था , इसने ऐसा संग्राम किया की गोरी का सारा गौरव चकनाचूर हो गया , उसे वापस बमुश्किल जान बचाकर भागना पड़ा , इस डूब मरने वाली हार को मुसलमान झूठे इतिहासकरो ने गाल बजाकर ढकने का प्रयास किया है , इस युद्ध के बाद गौरी तो भागकर गजनी पहुँच गया , और ऐबक दिल्ली।
प्रायः इसी समय देशभक्त हिन्दू सेना एकत्रित होने लगी थी , विदेशी मुसलमानो को ललकारा गया , पंगु चारो और से घिर गया , जीवन समाप्ति की और ही था , यहाँ से उसने सारे खलीफाओं को सन्देश भेज दिया , बहुत विशाल सेना आयी भी , किन्तु वापस एक भी नहीं लौटा , हिन्दुओ ने सभी को जमीन में गाड़ दिया , फिर जैसे तैसे कुतुबुद्दीन अपनी जान बचाकर भागा।
आगे का भाग कल -----

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