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Friday, January 13, 2017

China hates islam

चीन इस्लाम से इतनी नफरत क्यू करता है ???

दोस्तों , वैसे तो मुसलमान  इस्लाम को शांति  का धर्म बताते नहीं थकते, जिहाद की व्याख्या उलटी सीधी लंबी चौड़ी  तकरीर सुनाकर देते है , किन्तु ज़िहाद का सीधा सा और एक ही मतलब है , इन डाकुओ का किसी दूसरे हँसते खेलते प्रदेश में , दूसरे मत को मानने वाले लोगो पर अत्याचार , उनकी स्त्रियों को लूटना , उनका शारीरिक और मानसिक शोषण करना , दुसरो की सम्पति लूट उसका इतिहास समाप्त कर उसे अपना नाम दे देना , इसी का नाम जिहाद है , जिसके रास्ते पर हजरत मुहम्मद पैगम्बर की हार्दिक इच्छा के अनुसार यह अंतरास्ट्रीय डाकू दल  लूट मचा  रहा है , विश्व के शायद ही ऐसे कौने रहे है , जहाँ मानवत  इस्लाम की वजह से शर्मसार ना हुई हो , जहाँ जहाँ इस्लाम है , ऐसा समझ लीजिये , वहां के पूर्वजो ने बहुत ही डंस  इन मुहम्मद साहब के प्रवचनों का झेला है।  इन लुटेरो का पूरी दुनिया में कुछ नहीं , सिर्फ दुसरो की सम्पतियो और स्त्रियों पर कब्ज़ा कर इन्होंने अपना यह अशांति का दीन  फैलाया है , खैर मुझे विदेसी मामलो में कोई रूचि नही की इस्लाम के इन लुटेरो ने क्या किया , में तो सिर्फ इन लुटेरो के आने वाले खतरे और साथ में अपनी गौरवपूर्ण संस्कृति का प्रचार करना चाहता हूँ।

चीन देश का विस्तृत प्रदेश , , उसकी विशाल जनसँख्या और चीनी भासा  के टुंग - लिंग - फुंग आदि अजीबोगरीब शब्दो के उच्चारण के कारन सामान्य लोगो की यह धारणा  रहती है की चीन के लोगो की कोई विशिष्ट सभ्यता रही होगी।  और हमारा सबसे बड़ा दोष यह है की किसी भी चीज़ को बिना जाँच पड़ताल किये ही हम सच भी मान लेते है, उदहारण के लिए भारत के कुछ विद्धवान चीनी भासा और संस्कृति सिख कर भी इन बातो की कल्पना नहीं कर पाते, चीन में कभी हमारी हिन्दू वैदिक संस्कृति भी रही होगी यह बात सोच भी नहीं पाते।  विश्व के सभी प्रदेशो की तरह महाभारत काल के समय तक चीन में ही संस्कृत भाषा ही रही थी। महाभारत में भी चीन का बार बार उल्लेख होता है।  यह तो सभी जानते ही है की हिन्दुओ की ही एक शाखा  बोद्ध को मानने वाली अनुयायी बनी , भगवान् बुद्ध को हिन्दू भी एक अवतार के रउओ में ही मानते है , मंदिरो में उन्हें स्थान देते है , फर्क सिर्फ हिन्दुओ और बोद्ध में इतना है , इनके साथ वो अपने बाकी पूर्वज देवताओ को भी मानते है , और बोद्ध उन्हें , जानकार भी नहीं मानते। भविष्य पुराण में तो यहाँ तक लिखा हुआ है वेदों से असुरो को अलग करने के लिए ही भगवान  बुद्ध का अवतार लेना पड़ा , ताकि  कलिक  अवतार के समय जो महाविनाश करना था जो पूर्ण ओ सके, मूसा और इसाया से उतपन्न सभी असुरो का सफाया करने की बात भी भविष्य पुराण में है।

प्रचिलत भाषा में शाक्यमुनि गौतम बुद्ध का काल ईसापूर्व ६टा शतब्दी का माना जाता है , किन्तु इतिहासकारो ने इनसे भयंकर कांट  छांट  की है , हमें इससे १३०० साल और पीछे जाना चाहिए , राजकुल का आराम छोड़ जब एक राजकुमार ने भिक्षु का जीवन बिताया तो अनेक हिन्दू उन्हें अवतार मान उनके अनुयायी हो गयी , और यह तो हिन्दू धर्म में आज तक होता आ रहा है। आज से १००० साल बाद का सिख भी खुद को पूर्ण हिन्दू कहंगे कभी नहीं। रामायण में चीन को कोषकार  प्रदेश यानी कीड़ो का प्रदेश भी कहा गया है। फरगना जो अब तुर्को का भाग है , वो संस्कृत का ही प्राचीन नाम है , यह तुर्क कभी चीनी ही हुआ करते थे , मंगोल भी , जिहाद का कुठार इनपर चला , और तलवार की नोक पर ही इन्होंने इस्लाम कबूल किया , और करवाया , किसी हॉलीवुड  मूवी में वैम्पायर का जो रोल  होता है , वो दरअसल मुस्लमान ही होता है , रात में वो सोते पर हमले करता है , खून में नहाता  है , और दिन में शांतिपूर्ण जीवन जीता है , इस्लाम में ९० प्रतिशत युद्ध सोते हुए पर हमले करके जीते। चीन में पुरातत्व विभाग को भारतीय सिक्के भी मिले थे।

 चीन के एक इतिहासकार का नाम है su mo chien ,  उनका काल १४६ ईशा पूर्व बताया गया है , उनके नाम से su शब्द जो शुरू होता है , वो श्री का अपभ्रंस हो जाता है , वे लिखते है की चीन के मध्य भाग में जो दलदल का प्रदेश था , वह किसी yu the great नाम के पौराणिक व्यक्ति ने जल सोखकर साफ़ सुथरा करकर रहने लायक बनाया, वह yu वास्तव में ,मनु के नाम का ही अपभ्रंश है।  इस तरह यह तो अब साफ़ ही हुआ की चीन कभी भारत का ही एक हिस्सा हुआ था। किन्तु आज विषय चीन के इस्लाम नफरत की है , की आगे की बातो का चर्चा में आगे में लेखों में करता रहूँगा।  इन के विभिन्न धर्म जैसे टुनिजम आदि कभी हिन्दू धर्म ही थे , जो आगे चलकर तुर्क बन कहलाये , अब १०० प्रतिशत मुस्लमान है।

चीन में जिहाद का कुठार

चीनी साम्रज्य की सीमा पर इन अंतरास्ट्रीय लुटेरो ने ६५१ में ही पंजा मारना शुरू कर दिया था , जो ७५१ से तक चला , उसके अवशेष चीन में आज भी ताजा है जिहाद निरंतर जारी है , जब में कहूंगा चीन में भी इस्लाम के इन लुटेरो का जिहाद रंग दिखा चुका है , तो आपकी भौहे  तन जायेगी , की हैं ??? ऐसा कब हुआ ???, इससे पहले आपने यह सुना नहीं होगा , मगर हाँ, चीन भी इन लुटेरो को अपनी जमीन , पत्निया सम्पतिया लुटा  चुका है , इन लुटेरो न विश्व का शायद ही कोई कोना लूटने से छोड़ा हो।

डाउत उल इस्लाम ( यानि इस्लाम को गले लगाने का निमंत्रण ) यह विध्वंशकारी बला  चीन समेत अनेक पडोसी राज्यो तक भी पहुँच चुकी थी , गैंगस्टर पैगम्बर मुहम्मद के आदर्शो पर चलने वाले लुटेरे अब्दुल्लाह वहां अपनी लम्पट निगाहें मन में स्त्री भोग की कामाग्नि लिए वहां आया , यहाँ आकर उसने बड़े शांतिपूर्ण तरीके से दो शर्त रखी , या तो इस्लाम कबूल  करो, या हमें लूट मचाने ई पूरी छूट दो , हमें जजिया दो, और इसी लूट की भूक लिए इनका सामना ७५१ में चीनी साम्रज्य से हो गया , हालांकि इस्लाम के खुनी पंजो ने ५५१ में ही इनकी सीमाओ पर झपट्ते  मारने शुरू कर दिए थे , 7TH और 8TH  शताब्दी तक चीन में इस्लामी लुटेरो का डेरा रहा जिसकी कीमत बोद्ध लोगो को कज्जकितस्तान , उज्बेकिस्तान , किर्गिस्तान , तुर्कमेनिस्तान , आदि अलग राष्ट्रों ने रूप में अपनी जर जमीन  और जोरू लुटा  कर मिली , हमारे दलित भाई , नवबौद्ध इससे चाहे तो कुछ सीख  सकते है , अगर आप सुरक्छित है , तो इन मनुवादियो के सरंक्षण में ही सुरकसित  है , वरना कीमत खतना करवा के चुकानी पड़ती है , लिंग विच्छेदन के समय जय भीम कहाँ हवा हो जाएगा स्मरण भी नहीं रहेगा की कोई बाबा साहेब भी थे।
1924 में प्रथम विश्व युद्ध के समय खलीफा के लिए खून बहाने वाले तुर्क भी कभी बलपूर्वक बनाये गए मुसलमान ही थे।

७५२ में तलाश नदी की लड़ाई में इन्होंने इन जगहों पर कब्ज़ा किया था , और बोद्ध अनुयाइयो की लाशें बिछाकर या उनका खतना करवाकर चीन से अलग कर दिया , यह सब प्रान्त कभी चीन के TAN'G साम्रज्य के अंदर आते थे , कजाक , उज्जबेक, तुर्कमेन , किरगिज , आदि यह सब बोद्ध धर्मान्तरित मुसलमान  ही है आज भी चीन के अंदर मुट्ठीभर मुसलमानो ने पूर्वी तुर्किस्तान बनाने के लिए  ऐड़ी  चोटी  का जोर लगा रखा है।

चीन आज एक नास्तिक राष्ट्र के तोर पर आधिकारिक रूप से जाना जाता है , पर बुद्ध की अंतर्धारा बहुत ही सर्वव्यापी है , जब बामियान बुद्ध की मूर्ति को तालिबानी चीन ने उड़ा  दिया था , तो फिर से नास्तिकता ना दिखाते हुए चीन में वहीँ भव्य मूर्ति का निर्माण करवाया है।

चीन भी इन लुटेरो से हजारो सालो से , हमसे भी ज़्यादा पहले से परेशान  है , इसलिए वो तंग आ चूका है इनसे , और अपने देश में इस्लाम सफाई अभियान शुरू कर रखा है , पहला हमला तुर्क मंगोलियन सिनो मिक्सड था , जो कभी चीनी साम्रज्य के अंतर्गत ही आते थे , उस समय पर्शिया का शाशन खुरासान के हाथो में था , जो की अफगानिस्तान के कुछ छेत्रो तक फेला था , उस समय चीन TENG एम्पायर के शाशन में था , बाद में यही लोग तुर्क भी कहलाये। "टेंगरी" यह तुर्को का कभी भगवान् हुआ करते थे , उन्ही  टेंगनिज्म  बना , मंगोल इनको टेंगरी  बुलाया करते थे , नीला आसमानी रूपी झंडा इनका प्रतिक था , टेंगरी  का मतलब होता है " धरती का मालिक". उसी के अनुयायी ही यह तुर्क हुआ करते थे , " खान " इनका रॉयल टायटल हुआ करता था , पर्शिया में खुरासान की हार ने ही इस्लाम का रास्ता पुरे विश्व की और ही खोल दिया , ६३७ में कैदस्यायह  के युद्ध में ही पर्शिया पर इन लुटेरो का कब्जा हुआ था।

 यहाँ से इस्लाम की शांति का पैगाम उन्होंने तुर्किस्तान पहुंचाया , जो कभी चीनी साम्रज्य के अंतर्गत आता था , अहमद के नेतृत्व में इस्लामी हरा झंडा लिए अहमद के नेतृत्व में जब यह लुटेरे तुर्को के मुह की खाने लगे , तो उन्होंने सोते हुए तुर्की सेनिको पर हमला कर दिया , में आपको बता दूँ १९२४ तक तुर्की राजा केल्पिक बेचारा अपने देश को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा था। रात्रि में हमला करने के बाद निर्मम तरीके से स्वाभाव की भांति ही अल्लाह के बन्दों ने उ उनकी हत्या की , और बाकी छोड़े  उनको इस्लाम कबूल  करवा दिया गया , इसी सेना में सभी " खान " थे।  यह युद्ध फरगना के युद्ध के नाम से  जाना जाता है। और इसी के साथ तुर्क चीन से अलग हो गया , इसके बाद ३०० सालो तक तुर्को का कोई इतिहास नहीं लिखा गया , नगरो में सिर्फ आतंक और लूटमार थी। आंठवी सदी आते आते इन्होंने कजाकिस्तान , उज्बेकिस्तान , आदि बोद्ध भूमियो को भी निगल लिया और उनका सम्पूर्ण इतिहास मिटा दिया।

मुस्लिम आक्रमण से पहले इन बोद्धो ने शायद मच्छर भी नहीं मारा  होगा , वे तो मृत्यु  को खुले आसमान के नीचे  शांति से प्राप्त करना चाहते थे , मगर उन्ही के वंशज " चंगेज खान " जिसके पिता हगलु  खान पूर्व बौद्धिस्ट थेउसी।के।मिक्सड यह मुगल थे

बाकि  इस लेख से आप अपने देश के भले का भी सोच सकते है।

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